भारत में तेजी से बढ़ रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि अब तक इस धोखाधड़ी के जरिए देश में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की जा चुकी है, जिनमें ज्यादातर पीड़ित बुजुर्ग लोग हैं।
सोमवार (3 नवंबर 2025) को मुख्य न्यायाधीश-नामित जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई एक गोपनीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह समस्या “हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक गंभीर” है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “डिजिटल अरेस्ट अब एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है... हमारी कल्पना से भी अधिक।”
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत के अवलोकन से सहमति जताते हुए कहा कि शुरुआत में यह ठगी जितनी बड़ी थी, उसका अंदाजा नहीं लगाया गया था। उन्होंने बताया कि सरकार इस तरह की साइबर अपराध गतिविधियों से निपटने के लिए नए कदम उठा रही है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अपराधी विदेशी नंबरों और फर्जी पुलिस या सरकारी अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करते हैं। वे पीड़ितों को डराते हैं कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज है और उन्हें “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” किया जा रहा है। डर के कारण लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह इस साइबर अपराध को रोकने के लिए ठोस तंत्र विकसित करे और जनजागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाए। अदालत ने टिप्पणी की कि यह समस्या सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी बड़ा मुद्दा बन चुकी है।
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