थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हालिया सीमा संघर्ष को रोकने के लिए हुआ युद्धविराम (सीज़फायर) मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को लागू तो रहा, लेकिन इसकी स्थिरता पर सवाल बने हुए हैं। सीमा पर छिटपुट तनाव और अविश्वास के कारण युद्धविराम कमजोर दिखाई दे रहा है।
दोनों देशों के बीच कई दिनों से घातक झड़पें चल रही थीं, जिनमें कई लोगों की जान गई और हजारों लोग विस्थापित हुए। अमेरिकी आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मध्यस्थता प्रयासों के बाद दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सीमा क्षेत्रों में सैन्य तैनाती अभी भी जारी है और छोटी-मोटी झड़पों की खबरें सामने आ रही हैं। हालांकि, अब तक युद्धविराम का पूरी तरह उल्लंघन नहीं हुआ है। कंबोडिया और थाईलैंड की सरकारें शांति बनाए रखने और दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं।
और पढ़ें: आरटीआई आयोग में 18,000 मामले लंबित, जन सूचना अधिकारियों के लिए जागरूकता सम्मेलन आयोजित
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी आर्थिक दबाव ने संघर्ष रोकने में अहम भूमिका निभाई, क्योंकि इसने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर असर डाला। लेकिन असली चुनौती सीमा विवाद को स्थायी रूप से सुलझाने और दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल करने की है।
मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर युद्धविराम टूटता है तो विस्थापित लोगों की स्थिति और बिगड़ सकती है तथा सीमा पर मानवीय संकट गहराता जाएगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से शांति वार्ता को मजबूत करने की अपील की है।
और पढ़ें: अमेरिकी फर्मी लैब पर साइबर हमला, माइक्रोसॉफ्ट के शेयरपॉइंट को बनाया निशाना