थाईलैंड की राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब अदालत ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को एक साल की जेल की सजा सुनाने का आदेश दिया। अदालत का यह फैसला उस समय सामने आया है जब थाकसिन पहले से ही राजनीतिक हलचल के केंद्र में हैं।
थाकसिन की मुश्किलें उनकी बेटी और राजनीतिक उत्तराधिकारी पैटोंगटर्न शिनावात्रा के पद से हटाए जाने के बाद और बढ़ गईं। महज 11 दिन पहले ही अदालत ने पैटोंगटर्न को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किया था, जिससे थाईलैंड की राजनीति में अस्थिरता और गहरी हो गई।
थाकसिन शिनावात्रा थाईलैंड की राजनीति के सबसे प्रभावशाली और विवादास्पद नेताओं में गिने जाते हैं। वे पहले भी कई कानूनी मामलों और आरोपों का सामना कर चुके हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाइयाँ राजनीतिक प्रेरित हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि थाकसिन ने अपने कार्यकाल में सत्ता का दुरुपयोग किया।
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अदालत के इस आदेश ने थाईलैंड में सत्ता संतुलन को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से शिनावात्रा परिवार की राजनीति को झटका लगा है और यह आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
थाईलैंड की जनता अब यह देखने के इंतजार में है कि थाकसिन इस सजा पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और क्या उनका राजनीतिक प्रभाव आने वाले दिनों में बरकरार रह पाता है या नहीं।
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