अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक शांति व्यवस्था को हिला देने वाला बयान दिया है। उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका अब “अन्य देशों के समान आधार पर” नए परमाणु परीक्षण शुरू करेगा। यह निर्णय पिछले कई दशकों से चले आ रहे परमाणु परीक्षणों पर संयम की नीति को तोड़ सकता है और इससे विश्वभर में एक नया परमाणु शस्त्र दौड़ (arms race) शुरू होने की आशंका है।
29 अक्टूबर 2025 को, दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले ट्रंप ने कहा, “हमने वर्षों से परीक्षण नहीं किए, लेकिन अब जबकि अन्य देश ऐसा कर रहे हैं, हमें भी करना चाहिए।” बाद में वॉशिंगटन लौटते समय उन्होंने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से कहा कि “रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, उत्तर कोरिया कर रहा है, पाकिस्तान भी कर रहा है — लेकिन कोई इस पर बात नहीं करता।”
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप का बयान सही नहीं है क्योंकि अमेरिका, चीन और रूस ने 1990 के दशक से परमाणु विस्फोट परीक्षणों पर रोक (moratorium) बनाए रखी है। हालांकि, इन देशों ने परमाणु-सक्षम हथियार प्रणालियों का परीक्षण अवश्य किया है।
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ट्रंप की यह घोषणा रूस द्वारा अपने परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल “बुरेवेस्टनिक” और पनडुब्बी टॉरपीडो “पोसाइडन” के सफल परीक्षण के तुरंत बाद आई। ये हथियार अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम बताए जाते हैं, लेकिन ये परमाणु विस्फोट परीक्षण नहीं थे।
ट्रंप का यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे नई परमाणु प्रतिस्पर्धा की शुरुआत हो सकती है, जिससे वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
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