ब्रिटेन ने मंगलवार (16 दिसंबर, 2025) को सार्वजनिक प्रसारक बीबीसी की फंडिंग व्यवस्था की समीक्षा शुरू की है। इस कदम का उद्देश्य बीबीसी को भविष्य के लिए तैयार करना है, खासकर ऐसे समय में जब वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दायर एक बड़े मानहानि मुकदमे का सामना कर रहा है। सरकार ने कहा कि वह बीबीसी के वित्तपोषण मॉडल में सुधार के विकल्पों पर विचार कर रही है, ताकि संस्था टिकाऊ और निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ सके।
डोनाल्ड ट्रंप ने बीबीसी के खिलाफ मियामी की एक संघीय अदालत में 10 अरब डॉलर तक के हर्जाने का मुकदमा दायर किया है। ट्रंप का आरोप है कि उनके एक भाषण के संपादित वीडियो क्लिप्स ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया और यह मानहानिकारक है। बीबीसी इस मुकदमे का कानूनी तौर पर बचाव कर रहा है और पहले ही ट्रंप से माफी भी मांग चुका है।
ट्रंप के मुकदमे के अलावा, बीबीसी को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल वीडियो कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में बीबीसी की आय का मुख्य स्रोत £174.50 (लगभग 234 डॉलर) का वार्षिक लाइसेंस शुल्क है, जो टीवी देखने वाले प्रत्येक परिवार से लिया जाता है। हालांकि, लाइसेंस धारकों की संख्या लगातार घट रही है, जिससे संस्था की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ा है।
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सरकार ने यह भी कहा कि वह बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के फंडिंग विकल्पों की समीक्षा करेगी, जो हर सप्ताह दुनिया भर में 45.3 करोड़ लोगों तक पहुंचती है। संस्कृति मंत्री लिसा नैंडी ने कहा कि बीबीसी को पूरे ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, आर्थिक विकास का इंजन बनना चाहिए और इसे टिकाऊ व निष्पक्ष तरीके से वित्त पोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि बीबीसी को स्वतंत्र, जवाबदेह और जनता के विश्वास के योग्य बने रहना चाहिए।
बीबीसी का संचालन एक चार्टर के तहत होता है, जिसकी समीक्षा हर दस साल में होती है। मौजूदा चार्टर दिसंबर 2027 में समाप्त हो रहा है। हाल के वर्षों में बीबीसी कई विवादों से भी घिरा रहा है, हालांकि सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार 60 प्रतिशत ब्रिटिश नागरिक बीबीसी न्यूज से संतुष्ट हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के कार्यालय ने कहा कि ट्रंप का कानूनी मामला बीबीसी और उसके वकीलों का विषय है, लेकिन सरकार एक स्वतंत्र और मजबूत बीबीसी के सिद्धांत का समर्थन करती है।
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