प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए कुल 56.04 करोड़ खातों में से लगभग 23% खाते वर्तमान में निष्क्रिय हैं। इसका मतलब है कि इन खातों में लंबे समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2014 में शुरू की गई इस योजना के तहत लाखों लोगों को बैंकिंग सुविधा से जोड़ा गया, लेकिन खातों के संचालन को सक्रिय बनाए रखना अब भी एक चुनौती बना हुआ है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में निष्क्रिय खातों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्य आते हैं। कई खाताधारकों ने खाता खोलने के बाद न तो कोई लेन-देन किया और न ही खाते का नियमित उपयोग किया, जिससे वे निष्क्रिय हो गए।
सरकार ने इन खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। बैंक अधिकारी खाताधारकों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें खातों के लाभ जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), ओवरड्राफ्ट सुविधा और बीमा कवर के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये निष्क्रिय खाते सक्रिय हो जाएं, तो यह वित्तीय समावेशन की दिशा में बड़ा कदम होगा और सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंच सकेगा।
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