2006 के 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में बरी हुए अब्दुल वाहिद शेख ने इस केस की स्वतंत्र विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पुनः जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्याय नहीं हुआ है और सच्चाई अभी भी सामने नहीं आ सकी है।
अब्दुल वाहिद शेख, जिन्हें सबूतों के अभाव में 2015 में बरी कर दिया गया था, ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस मामले में जिन 13 लोगों को दोषी ठहराया गया, उनमें से कई बेगुनाह हैं और उन्हें जबरन फंसाया गया।
उन्होंने दावा किया कि जांच एजेंसियों ने झूठे साक्ष्यों के आधार पर मुस्लिम युवकों को निशाना बनाया, जबकि असली साजिशकर्ता आज भी आज़ाद घूम रहे हैं। शेख ने आरोप लगाया कि पुलिस और जांच एजेंसियों ने बयान जबरदस्ती लिए और सबूतों में हेरफेर की।
शेख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि वे निष्पक्षता के लिए इस मामले की दोबारा जांच SIT के माध्यम से कराएं। उन्होंने कहा कि जब तक असली अपराधियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह हमला भारतीय न्याय प्रणाली पर एक धब्बा बना रहेगा।
2006 में हुए इन सिलसिलेवार बम धमाकों में 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस और फिर एनआईए ने की थी, जिसके आधार पर कई लोगों को दोषी ठहराया गया।