केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार CPI(M) नेता और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास के पत्र का मलयालम में जवाब दिया। ब्रिटास ने अपने पत्र में गृह मंत्रालय के उस निर्देश की कानूनी खामियों को उजागर किया था, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति पर सात वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध का चार्जशीट दाखिल होता है तो उसके ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) पंजीकरण को रद्द किया जा सकता है।
22 अक्टूबर, 2025 को लिखे गए अपने पत्र में ब्रिटास ने सरकार से अनुरोध किया था कि इस अधिसूचना की समीक्षा की जाए और उसे रद्द किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यह निर्देश निर्दोष होने की अवधारणा को कमजोर करता है और संवैधानिक प्रक्रिया की गारंटी का उल्लंघन करता है। ब्रिटास ने कहा कि किसी भी OCI कार्डधारक के खिलाफ कार्रवाई न्यायिक निर्णय पर आधारित होनी चाहिए, न कि केवल आपराधिक जांच के प्रशासनिक कदमों पर।
ब्रिटास के पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया कि OCI धारकों के अधिकारों पर किसी भी तरह का प्रभाव पड़ने वाला निर्णय न्यायिक प्रक्रियाओं और उचित कानूनी जांच पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने गृह मंत्रालय के निर्देश को असंवैधानिक और अवैध बताते हुए इस पर पुनर्विचार की मांग की थी।
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इस पत्र के जवाब में अमित शाह द्वारा मलयालम में संवाद करना ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह कदम सरकार की जनता और सांसदों के साथ सीधे संवाद करने की प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। गृह मंत्रालय के निर्देश की समीक्षा और न्यायिक दृष्टिकोण से उचित प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता को दोनों पक्षों ने रेखांकित किया है।
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