बीसी (Backward Classes) संघों ने 42 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर संघर्ष की घोषणा की है। संघों ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर “दाँत और नाखून से लड़ेंगे” और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रयास से पीछे नहीं हटेंगे।
बीसी संघों का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 42 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किए बिना सामाजिक और आर्थिक पिछड़े वर्गों के लिए समान अवसर नहीं मिलेंगे। उनका कहना है कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण समानता और न्याय सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
संगठनों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर उचित ध्यान नहीं दिया गया, तो वे सभी कानूनी और सामाजिक माध्यमों का उपयोग करके अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करेंगे। उनका उद्देश्य केवल आरक्षण सुनिश्चित करना ही नहीं, बल्कि पिछड़े वर्गों की भागीदारी और सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देना है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि बीसी संघों की यह पहल राजनीतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य और केंद्र सरकारों पर दबाव बनाएगी कि वे पिछड़े वर्गों के हितों का ध्यान रखें।
सामाजिक न्याय और आरक्षण नीति के तहत यह आंदोलन बीसी समुदाय के लिए अवसर और सशक्तिकरण का प्रतीक माना जा रहा है। संघों के अनुसार, इस लड़ाई में वे कानूनी रास्ते, सार्वजनिक आंदोलन और नीति निर्माण प्रक्रियाओं का सहारा लेंगे ताकि पिछड़े वर्गों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
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