लोकसभा में गुरुवार को ई-सिगरेट को लेकर विवाद तब बढ़ गया जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक सांसद सदन के भीतर ई-सिगरेट पी रहे हैं। ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से पूछा कि क्या सदन में ई-सिगरेट की अनुमति है। अध्यक्ष ने तुरंत ‘नहीं’ में जवाब दिया।
इस पर ठाकुर ने कहा कि एक TMC सांसद कई दिनों से सदन में ई-सिगरेट पीते दिखे हैं। उन्होंने कहा, “ई-सिगरेट पूरे देश में प्रतिबंधित हैं… फिर सदन में इन्हें कैसे अनुमति दी जा सकती है? तृणमूल सांसद कई दिनों से ई-सिगरेट पी रहे हैं। कृपया इसकी तुरंत जांच कराएं।”
इस आरोप के बाद कई अन्य BJP सांसद भी खड़े हो गए और इस मुद्दे पर आपत्ति जताई, जिससे सदन में थोड़ी देर के लिए हंगामा हो गया। अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों से गरिमा बनाए रखने की अपील की और कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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ठाकुर और अन्य BJP सांसदों द्वारा लिखित शिकायत देने की संभावना है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है, खासकर जब कोई सांसद ऐसा करता है।
ई-सिगरेट या वेप्स इलेक्ट्रॉनिक या बैटरी से चलने वाले उपकरण होते हैं, जो निकोटिन और फ्लेवर वाले तरल को गर्म कर एयरोसोल बनाते हैं। भारत में इन्हें 2019 के इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम के तहत पूरी तरह बैन किया गया है। इस कानून के तहत ई-सिगरेट का निर्माण, आयात, बिक्री, भंडारण, विज्ञापन और यहां तक कि रखना भी गैरकानूनी है।
हालांकि देशभर में इसका अवैध व्यापार अब भी जारी है। 2023 में केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर स्कूलों और कॉलेजों के पास इनकी अवैध बिक्री पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया था।
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर भी प्रतिबंध है, जिसमें संसद भवन भी शामिल है। संसद के नियम पुस्तिका में स्पष्ट रूप से लिखा है कि धूम्रपान “कड़ाई से वर्जित” है।
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