सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 दिसंबर 2025) को 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में आरोपियों—उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य—की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने मंगलवार को अंतिम सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी भी सुनी कि “अप्रिय या लोगों को नापसंद आने वाला भाषण देना अपने आप में यूएपीए के कठोर प्रावधान लागू करने का आधार नहीं हो सकता।” आरोपियों की ओर से दलील दी गई कि उनके भाषण को साजिश के रूप में प्रस्तुत करना कानून की गलत व्याख्या है और जमानत मिलनी चाहिए।
वहीं संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को लोकसभा में भारी हंगामा देखने को मिला। गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। शाह ने SIR (Statewide Intensive Revision of Electoral Rolls) और कथित "वोट चोरी" के आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि "कोई भी अवैध प्रवासी वोटर सूची में नाम नहीं रख सके।"
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष चर्चा से बच रहा है और "सिर्फ संसद का समय बर्बाद करता है"। उनके भाषण के बीच ही विपक्षी दलों ने विरोध दर्ज कराते हुए सदन से बाहर निकलने का निर्णय लिया। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने भी विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास “किसी मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करने का धैर्य नहीं है।”
और पढ़ें: सरकार RTI जानकारी देने में अनिच्छुक: टीएमसी सांसद का आरोप
दिन के राजनीतिक घटनाक्रमों ने संसद के अंदर तनाव को और बढ़ा दिया, जहां सरकार और विपक्ष चुनाव सुधार, मतदाता सूची और 2020 दंगों से जुड़े मामलों पर आमने-सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संसद में जारी गतिरोध दोनों ही आने वाले दिनों में राजनीतिक परिदृश्य पर बड़ा प्रभाव डालेंगे।
और पढ़ें: बीजेपी सांसद बोले: कांग्रेस ने मतदाता सूची में जो गलतियां छोड़ीं, उन्हें SIR ठीक करेगा