बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया है कि वह 31 वर्षीय गर्भवती महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करे, जो अपने साथी से विवाह करने के लिए घर छोड़कर महाराष्ट्र के बाहर रह रही है। यह आदेश महिला के पिता द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका के बाद आया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटी अप्रैल से लापता है।
महिला ने खुद कोर्ट में पेश होकर कहा कि वह अपने जीवन संबंधी निर्णय स्वयं लेने की स्थिति में है और उसकी मर्जी का सम्मान होना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि पुलिस का कर्तव्य केवल महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और किसी भी तरह का दबाव या हस्तक्षेप नहीं करना।
महिला के पिता ने याचिका में बताया कि बेटी के लापता होने के बाद उन्हें चिंता हुई और उन्होंने कोर्ट से मदद मांगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने माना कि महिला अपनी उम्र और स्थिति के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम है और उसके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।
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कोर्ट के आदेश में कहा गया कि पुलिस महिला को उसके वर्तमान निवास स्थान तक सुरक्षित रूप से पहुँचाए, ताकि किसी भी तरह का खतरा या नुकसान न हो। यह आदेश महिलाओं के स्वायत्त अधिकारों और उनके निजी जीवन में स्वतंत्र निर्णय लेने की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
हाईकोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला अपने जीवन साथी को चुनने और शादी करने में पूरी तरह स्वतंत्र है, भले ही परिवार का विरोध हो। यह फैसला महिला सुरक्षा और अधिकारों के दृष्टिकोण से उल्लेखनीय है।
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