भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बिहार सरकार की वित्तीय जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने ₹49,649 करोड़ के खर्चों के लिए अब तक उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilisation Certificates - UCs) जमा नहीं किए हैं।
यह राशि उन अनुदानों और व्ययों से संबंधित है जो विभिन्न विभागों और एजेंसियों को दी गई थी। उपयोगिता प्रमाण पत्र यह साबित करते हैं कि आवंटित राशि का उपयोग नियमानुसार और उद्देश्य के अनुसार किया गया है। CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि ये प्रमाण पत्र वर्षों से लंबित हैं, जिनमें से कुछ 10 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्रमाण पत्रों के अभाव में सार्वजनिक धन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर असर पड़ता है और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ती है। CAG ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह जल्द से जल्द लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्रों को प्रस्तुत करे और प्रक्रिया में पारदर्शिता लाए।
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साथ ही, रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए एक सख्त निगरानी प्रणाली और समयबद्ध रिपोर्टिंग व्यवस्था लागू की जाए।
यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब राज्य सरकार पर पहले से ही वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगते रहे हैं। कैग की यह रिपोर्ट सरकार के लिए चेतावनी के रूप में देखी जा रही है।
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