आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और जनसुलभ बनाने के लिए नई तकनीक और वैकल्पिक विवाद निवारण (एडीआर) तंत्र अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी हस्तक्षेप न केवल न्याय तक पहुंच को आसान बनाएगा बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित भी करेगा।
नायडू ने अपने संबोधन में बताया कि पहले अदालत का रुख करने को लेकर लोगों में एक प्रकार का संकोच और सामाजिक कलंक जुड़ा रहता था। लेकिन समय के साथ इस सोच में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और अब नागरिक अपने अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर अधिक जागरूक हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि इस जागरूकता को आगे बढ़ाते हुए लोगों को न्याय के लिए अधिक सहज और तेज़ रास्ते उपलब्ध कराए जाएं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तकनीक का उपयोग अदालतों में लंबित मामलों को तेजी से निपटाने में सहायक हो सकता है। इसके साथ ही, एडीआर तंत्र जैसे मध्यस्थता (mediation), सुलह (conciliation) और पंचाट (arbitration) विवादों को कोर्ट के बाहर सुलझाने का एक प्रभावी साधन है। इससे न्यायालयों पर बोझ कम होगा और आम लोगों को राहत मिलेगी।
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उन्होंने जोर दिया कि न्याय प्रणाली को समय की मांग के अनुसार आधुनिक, पारदर्शी और सुलभ बनाया जाना चाहिए। नायडू ने कहा कि अगर तकनीक और एडीआर तंत्र को व्यापक रूप से लागू किया जाए तो न्याय तक पहुंच आम नागरिकों के लिए कहीं अधिक आसान और भरोसेमंद हो जाएगी।
मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब देशभर में न्यायालयों में लाखों मामले लंबित हैं और तकनीकी समाधानों को एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
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