हैदराबाद में मंगलवार (28 अक्टूबर 2025) की सुबह बादलों से घिरी रही, लेकिन इससे श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई असर नहीं पड़ा। लाखों लोगों ने जलाशयों के किनारे खड़े होकर छठ पूजा के चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
सुबह 4 बजे से ही शहर के प्रमुख छठ घाटों, जैसे हुसैन सागर झील सहित कई स्थानों पर भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाएं और पुरुष कमर तक पानी में खड़े होकर हाथों में फल और सुप (भेंट) लिए सूर्यदेव की आराधना कर रहे थे। पूरे माहौल में छठ गीतों और भक्तिमय गूंज से वातावरण पवित्र हो उठा।
यह अनुष्ठान सूर्य देव और उनकी पत्नी ऊषा को समर्पित है, जो पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। छठ महापर्व के चार दिनों में यह अंतिम दिन ‘ऊषा अर्घ्य’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें भक्त उगते सूर्य को जल अर्पित करते हैं।
और पढ़ें: भारतीय रेलवे ने 30 प्रमुख स्टेशनों पर छठ गीत बजाकर घर लौटने वाले यात्रियों का स्वागत किया
बादलों के कारण सूर्योदय में थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन श्रद्धालु अडिग खड़े रहे और जब सूर्य की पहली किरणें जल पर पड़ीं, तो श्रद्धा और भक्ति के स्वर एक साथ गूंज उठे।
हैदराबाद में छठ पूजा का आयोजन बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आए प्रवासियों द्वारा बड़े हर्षोल्लास से किया गया। नगर प्रशासन ने सुरक्षा और सफाई की व्यापक व्यवस्था की थी ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
और पढ़ें: दिल्ली सरकार बनाएगी यमुना किनारे 17 मॉडल छठ घाट, श्रद्धालुओं पर दर्ज सभी मामले होंगे वापस