भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए चीन में हैं और उन्होंने इस बहुपक्षीय मंच का उपयोग करते हुए भारत की सीमा-पार आतंकवाद को लेकर गंभीर चिंताएं उठाईं।
जयशंकर ने चीन को यह याद दिलाया कि एससीओ की स्थापना का मूल उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद — इन "तीन बुराइयों" से मुकाबला करना था, और ये तीनों अक्सर एक-दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं।
उन्होंने यह टिप्पणी विशेष रूप से 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में की, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। इस बर्बर हमले को भारत सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार दिया है, जिसका उद्देश्य धार्मिक आधार पर समाज में दरार पैदा करना और जम्मू-कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाना था।
जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब चीन एक ओर तो सार्वजनिक रूप से सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को लेकर आलोचना झेलता है।
चीन खुद को एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, लेकिन यदि वह पर्दे के पीछे उकसावे की भूमिका निभाता है, तो उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।
जयशंकर का यह रुख भारत की स्पष्ट कूटनीतिक सोच को दर्शाता है — आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं।