कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अनुच्छेद 15(5) के क्रियान्वयन के लिए एक ठोस कानून लाया जाए। कांग्रेस का कहना है कि यह कदम सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के शैक्षिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
आदिवासी कांग्रेस के प्रमुख विक्रांत भूरिया ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा नीतियों के तहत जनता के संवैधानिक अधिकारों को छीना जा रहा है। उन्होंने कहा, “भाजपा न केवल मतदान का अधिकार कमजोर कर रही है बल्कि आरक्षण के अधिकार को भी खत्म करने की साजिश कर रही है।”
भूरिया ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की नीति सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को धीरे-धीरे बंद करने की ओर बढ़ रही है। उनके अनुसार, जब सरकारी शिक्षा प्रणाली कमजोर हो जाएगी, तब पूरा शिक्षा क्षेत्र निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। इससे वंचित और गरीब वर्गों के लिए शिक्षा तक पहुंच बेहद कठिन हो जाएगी।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अनुच्छेद 15(5) शिक्षा संस्थानों में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण सुनिश्चित करता है, और इसे सही तरीके से लागू करना समय की मांग है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर उठाया जाए ताकि हाशिए पर खड़े समाज के लोग शिक्षा के अधिकार से वंचित न हों।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती तो यह असमानता को और बढ़ाएगा और शिक्षा का निजीकरण समाज के लिए गंभीर संकट बन सकता है। कांग्रेस का यह दबाव भाजपा सरकार के लिए सत्र में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
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