दिल्ली दंगों से जुड़े एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस मामले में आरोपी कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा ने जमानत की मांग की है। इन सभी पर वर्ष 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश रचने का गंभीर आरोप है।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए उनके रोल को “गंभीर” बताया था। अदालत का कहना था कि प्रथमदृष्टया उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जो यह संकेत देते हैं कि वे कथित साजिश का हिस्सा थे।
उमर खालिद और शरजील इमाम पर आरोप है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण दिए, जिससे दंगे भड़कने का माहौल बना। गुलफिशा फातिमा, जिन्हें पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ा माना जाता है, पर आरोप है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के संगठन और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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हालांकि, आरोपियों के वकीलों का कहना है कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और वे केवल शांतिपूर्ण विरोध का हिस्सा थे। उनका तर्क है कि अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली यह सुनवाई न केवल आरोपियों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी तय करेगी कि दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में आगे न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में बढ़ेगी।
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