11 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी देश के वित्तीय और कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक गंभीर मामले के तहत हुई है, जिसमें आरोप है कि बड़े पैमाने पर बैंक ऋण का दुरुपयोग किया गया।
सूत्रों के अनुसार, ED ने आरोप लगाया कि CFO ने कंपनी के नाम पर बैंक से लिए गए ऋणों के दस्तावेजों में गड़बड़ी की, जिससे वित्तीय संस्थानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। जांच के दौरान पाया गया कि कुछ लेन-देन और ऋण स्वीकृतियों में फर्जी दस्तावेज और गलत जानकारी का इस्तेमाल किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तारी के बाद कहा कि यह कदम सख्त वित्तीय अनुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का हिस्सा है। ED की टीम अब इस मामले में अन्य संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरफ्तारी से कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और बैंकिंग क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक सख्त संदेश गया है। इससे निवेशकों और वित्तीय संस्थाओं के बीच वित्तीय अनुशासन और भरोसे को मजबूत करने की संभावना है।
रिलायंस पावर लिमिटेड ने भी मामले में कहा कि कंपनी पूरी तरह जांच में सहयोग कर रही है और किसी भी अनियमितता को गंभीरता से लिया जाएगा। ED ने संकेत दिया कि भविष्य में इस मामले में और गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई संभव है।
इस कार्रवाई के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में बैंक ऋण धोखाधड़ी और वित्तीय गड़बड़ी पर नज़र रखना केंद्रीय एजेंसियों की प्राथमिकता है।
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