केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में जानकारी दी कि एक विशेषज्ञ पैनल ने सिफारिश की है कि वर्तमान मानकों के अनुसार भारत मलेरिया वैक्सीन अपनाने की श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने यह बयान लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया, जिसमें पूछा गया था कि क्या भारत की पहली मलेरिया वैक्सीन को देश में उपयोग के लिए नियामक स्वीकृति मिल चुकी है।
मंत्री ने बताया कि विशेषज्ञ समिति ने उपलब्ध आंकड़ों और देश में मलेरिया की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। समिति का मानना है कि भारत में मलेरिया संक्रमण दर और अन्य मानकों की तुलना उन देशों से कम है, जहां यह वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर अपनाई गई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मलेरिया नियंत्रण और उन्मूलन के लिए पहले से कई कार्यक्रम चला रही है, जिसमें कीटनाशक-युक्त मच्छरदानी वितरण, दवा उपलब्धता, और जागरूकता अभियान शामिल हैं। साथ ही, देश के विभिन्न हिस्सों में मलेरिया के मामलों की लगातार निगरानी की जा रही है।
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अनुप्रिया पटेल ने यह भी कहा कि यदि भविष्य में भारत में मलेरिया संक्रमण की स्थिति बदलती है या नए वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध होते हैं, तो वैक्सीन अपनाने के संबंध में पुनर्विचार किया जाएगा।
वर्तमान में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन मुख्य रूप से अफ्रीका के उन देशों में लागू की जा रही है, जहां मलेरिया संक्रमण की दर और मृत्यु दर बहुत अधिक है। भारत में मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य 2030 तक निर्धारित किया गया है और सरकार का मानना है कि मौजूदा रणनीतियों से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
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