मानव मस्तिष्क अत्यंत जटिल होता है और जीवन के पहले 1,000 दिन—गर्भधारण से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक—भविष्य के विकास के लिए एक सुनहरा अवसर माने जाते हैं। इस अवधि में मस्तिष्क की वृद्धि बेहद तीव्र होती है, जो जीवनभर के सीखने, व्यवहार और स्वास्थ्य की मजबूत नींव रखती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे किसी इमारत के निर्माण में हर मंजिल का ढांचा (स्कैफोल्डिंग) अगले स्तर के लिए सहारा देता है, वैसे ही मस्तिष्क का हर विकास चरण अगले चरण को आकार देता है। अगर इन महत्वपूर्ण वर्षों में बच्चे को सही पोषण, पर्याप्त देखभाल और सुरक्षित वातावरण नहीं मिलता, तो मस्तिष्क को ऐसा नुकसान हो सकता है जो अक्सर अपरिवर्तनीय और जीवनभर असर डालने वाला होता है।
इस अवधि में सही पोषण (गर्भावस्था के दौरान मां का संतुलित आहार और शिशु का पर्याप्त पोषण), स्वास्थ्य सेवाएं, समय पर टीकाकरण और मानसिक व भावनात्मक सहयोग अत्यंत आवश्यक हैं। यह न केवल बच्चे की संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) क्षमताओं को मजबूत करता है बल्कि सामाजिक कौशल, समस्या समाधान की क्षमता और सीखने की गति को भी बढ़ाता है।
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नीतिनिर्माताओं और समाज के लिए जरूरी है कि वे इस शुरुआती अवधि में बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्राथमिकता दें। उचित निवेश से न केवल बच्चे का भविष्य सुधरता है बल्कि पूरे समाज की प्रगति और उत्पादकता भी बढ़ती है।
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