सरकार ने ग्रीन क्रेडिट प्रणाली को पेड़ लगाने की गतिविधियों से जोड़ते हुए अब इसे परिणाम-आधारित बना दिया है। नए नियमों के अनुसार, क्रेडिट केवल पौधारोपण गतिविधि के लिए नहीं बल्कि वास्तविक पारिस्थितिक सुधार और कंपी कवर (canopy cover) की वृद्धि के लिए प्रदान किए जाएंगे।
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रीन क्रेडिट केवल अंक या रिकॉर्ड तक सीमित न रहें, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी मापा जा सके। यानी जितने पेड़ लगाए गए, उनके जीवित रहने और क्षेत्र में छाया तथा जैव विविधता बढ़ाने की क्षमता पर क्रेडिट निर्भर होगा।
पारिस्थितिकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में अधिक प्रभावशाली साबित होगी। इससे पेड़ लगाने की गतिविधि और वास्तविक पर्यावरणीय लाभ के बीच सीधा संबंध स्थापित होगा।
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सरकार के अनुसार, यह नीति वृक्षारोपण कार्यक्रमों की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी और निवेशकों तथा कंपनियों को प्रेरित करेगी कि वे सतत और परिणाममुखी पर्यावरणीय परियोजनाओं में हिस्सा लें।
इस नई व्यवस्था के तहत, पर्यावरणीय निगरानी, डेटा संग्रह और नियमित निरीक्षण पर जोर दिया जाएगा। केवल उतनी ही क्रेडिट मिलेगी जितना पर्यावरण में वास्तविक सुधार हुआ है। यह पारिस्थितिकीय दृष्टि से अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी मॉडल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी को लाभ मिलेगा बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी योगदान मिलेगा।
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