भारत ने अक्टूबर 2025 में भी रूस से कच्चे तेल का आयात मजबूत स्तर पर बनाए रखा है। समुद्री डेटा और एनालिटिक्स प्रदाता Kpler की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 18 लाख बैरल रूसी तेल आयात कर रहा है, जो सितंबर की तुलना में करीब 2.5 लाख बैरल प्रतिदिन अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस से आने वाला तेल भारत के लिए अब भी “सबसे बड़ा एकल स्रोत” बना हुआ है, जो कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 34% हिस्सा है। इस बढ़त का मुख्य कारण रूसी तेल पर मिलने वाली “आकर्षक छूट” है, जिसे भारतीय रिफाइनर नजरअंदाज नहीं कर पा रहे हैं।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया था कि भारत जल्द ही रूसी तेल आयात में कटौती कर सकता है। लेकिन Kpler ने अपने विश्लेषण में कहा है कि ट्रंप के बयान “वास्तविक नीति परिवर्तन” की बजाय “राजनीतिक दबाव की रणनीति” प्रतीत होते हैं।
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भारत लगातार यह रुख अपनाता रहा है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह “राष्ट्रीय हित” पर आधारित है और वह किसी तीसरे देश के दबाव में निर्णय नहीं लेता। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में रूस से मिलने वाला सस्ता तेल भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर तब जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं।
भारत के ऊर्जा बाजार में रूस की यह बढ़ती हिस्सेदारी आने वाले महीनों में भी जारी रह सकती है, जब तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों या मूल्य सीमाओं में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होता।
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