भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) का पहला चरण 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने FICCI की वार्षिक महासभा में बताया कि हाल के वैश्विक व्यापार परिवर्तनों के बावजूद बातचीत में पर्याप्त प्रगति हुई है।
अग्रवाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच चर्चा आशाजनक है और उम्मीद है कि इस कैलेंडर वर्ष के भीतर समाधान मिल जाएगा। हालांकि, उन्होंने चेताया कि किसी भी व्यापार वार्ता की समय-सीमा तय करना कठिन होता है, क्योंकि एक मुद्दा भी पूरा समझौता रोक सकता है।
भारत और अमेरिका पहले 2025 की शरद ऋतु तक समझौते के पहले हिस्से को पूरा करना चाहते थे, लेकिन अमेरिकी व्यापार नीतियों में हालिया बदलाव, खासकर ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ की घोषणा ने समय-सीमा बदल दी। अमेरिका ने उच्च आयात शुल्क कई देशों पर लागू किए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
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इन परिस्थितियों में, दोनों देश अब दो समानांतर वार्ताओं में जुटे हैं—एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) और एक त्वरित फ्रेमवर्क ट्रेड डील, जिसका उद्देश्य भारत पर लगे भारी शुल्कों को कम करना है। सचिव ने बताया कि फ्रेमवर्क डील पर काफी प्रगति हो चुकी है और अधिकांश मुद्दों को सुलझा लिया गया है। अब सिर्फ दोनों देशों द्वारा उपयुक्त समय पर घोषणा करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पूर्ण BTA के लिए पारस्परिक शुल्कों को समाप्त करने का रास्ता खोजना होगा, जिसमें समय लगेगा, लेकिन पहला चरण जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
यह BTA फरवरी में आधिकारिक रूप से प्रस्तावित किया गया था, जिसका लक्ष्य भारत-अमेरिका व्यापार को 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% आयात शुल्क लगाया, जिसे बाद में और 25% बढ़ाया गया, जिससे वार्ताएं और जटिल हुई हैं। फिर भी, दोनों देश समझौते को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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