भारत ने पाकिस्तान को संभावित बाढ़ की स्थिति को लेकर अग्रिम चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी के तहत पाकिस्तान को सतर्क रहने के लिए सूचित किया गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए समय रहते तैयारी की जा सके।
हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि भारत ने यह जानकारी कूटनीतिक माध्यमों से दी है, जबकि ऐसी सूचनाएँ पारंपरिक रूप से सिंधु जल आयोग (Indus Waters Commission) के माध्यम से साझा की जाती रही हैं। पाकिस्तान ने सवाल उठाया कि क्या यह स्थापित तंत्र को दरकिनार करने का प्रयास है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि चेतावनी मानवीय दृष्टिकोण से दी गई, ताकि पाकिस्तान की जनता को समय रहते सतर्क किया जा सके। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम केवल पूर्व सूचना देने की प्रक्रिया का हिस्सा था और इसमें किसी राजनीतिक उद्देश्य की बात नहीं है।
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पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि हालांकि सूचना का साझा किया जाना स्वागतयोग्य है, लेकिन औपचारिक संस्थागत ढांचे को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों के बीच जल संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान आयोग के स्तर पर होता है, जिससे किसी भी तरह की गलतफहमी से बचा जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में इस तरह की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि जल कूटनीति (water diplomacy) का महत्व लगातार बढ़ रहा है। मौजूदा स्थिति यह भी दिखाती है कि आपसी विश्वास की कमी के कारण संचार का तरीका भी विवाद का कारण बन सकता है
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