जनजातीय कार्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समूहों (PVTGs) के लिए अलग से आंकड़े एकत्र किए जाएँ। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 2011 की जनगणना में अनुसूचित जनजातियों (STs) से जुड़े आंकड़े तो एकत्र किए गए थे, लेकिन PVTGs के लिए अलग से डेटा नहीं जुटाया गया।
मंत्रालय का कहना है कि PVTGs समाज के सबसे पिछड़े और संवेदनशील वर्गों में आते हैं, जिनकी आबादी सीमित है और जो सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक वंचित हैं। इनके लिए सटीक और विस्तृत डेटा का होना योजनाओं के निर्माण और उनके सही क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है।
भारत में 75 अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समूह (PVTGs) अधिसूचित हैं, जो देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। इन समूहों की विशेषता यह है कि इनका जीवन आज भी मुख्यधारा से काफी हद तक अलग है और ये शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं।
और पढ़ें: निकोबारी जनजाति के 140 लोग अंडमान पुलिस में होंगे शामिल
मंत्रालय ने कहा कि यदि इन समूहों की सही जानकारी उपलब्ध नहीं होगी तो लक्षित योजनाओं का लाभ उन तक पहुँचाना कठिन हो जाएगा। अलग जनगणना से इनकी जनसंख्या, सामाजिक स्थिति, आजीविका और बुनियादी जरूरतों से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिससे उनके उत्थान के लिए ठोस रणनीतियाँ बनाई जा सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम PVTGs के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों को प्रभावी बनाने और उनके सतत विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
और पढ़ें: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ लगभग 5,000 संरचित बैठकें कीं