कश्मीर की कई राजनीतिक पार्टियों ने सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से जुड़े स्कूलों पर कब्ज़े के कदम की तीखी आलोचना की है। इन पार्टियों ने इसे प्रशासनिक दखलअंदाज़ी करार देते हुए कहा कि यह कश्मीर की शैक्षिक और सामाजिक ढांचे के लिए हानिकारक है।
जस्टिस एंड डेवलपमेंट फ्रंट (जे़डीएफ) जम्मू-कश्मीर, जो प्रतिबंधित जेईआई के सदस्यों द्वारा गठित संगठन है, ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे “प्रशासनिक अतिक्रमण” बताया। संगठन ने कहा कि यह कार्रवाई नेशनल कॉन्फ्रेंस के “विश्वासघात के इतिहास” की दर्दनाक याद दिलाती है।
जे़डीएफ के प्रवक्ताओं ने कहा कि ये स्कूल लंबे समय से स्थानीय छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे थे और सरकार का सीधा नियंत्रण शिक्षा के क्षेत्र में अविश्वास पैदा करेगा। उनका कहना है कि यह कदम “अनावश्यक और राजनीतिक रूप से प्रेरित” लगता है।
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कश्मीर की अन्य पार्टियों ने भी सरकार से अपील की है कि वह शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिक विवादों से दूर रखे और ऐसे कदम न उठाए जो समाज में तनाव बढ़ाएँ। राजनीतिक नेताओं का मानना है कि इस तरह के फैसले से न केवल छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन और जनता के बीच अविश्वास की खाई भी गहरी होगी।
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर समय-समय पर जेईआई संस्थानों पर सख्ती की जाती रही है।
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