उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से महत्वपूर्ण वार्ता करने वाले हैं। यह बैठक एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया और चीन के बीच यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की गतिविधियाँ तेज़ हो रही हैं। उत्तर कोरिया लंबे समय से चीन को अपना सबसे बड़ा राजनीतिक और आर्थिक सहयोगी मानता रहा है। दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और कूटनीति से जुड़े कई मुद्दों पर सहमति बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में आर्थिक सहयोग, सीमा व्यापार, और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विशेष चर्चा हो सकती है। उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से जूझ रहा है और ऐसे में चीन उसके लिए जीवनरेखा की तरह है। वहीं, चीन भी एशिया में अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच उत्तर कोरिया के साथ अपने रिश्तों को और मज़बूत करने के पक्ष में है।
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राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह वार्ता केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें वैश्विक कूटनीति और क्षेत्रीय शांति पर भी प्रभाव डालने वाले मुद्दे उठ सकते हैं।
यह बैठक उत्तर कोरिया-चीन रिश्तों के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकती है और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है।
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