सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) को मद्रास रेस क्लब से जुड़े मामले में तमिलनाडु सरकार को राहत देते हुए हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि वह रेस क्लब की संपत्ति पर ईको-पार्क के लिए आवश्यक निर्माण के अतिरिक्त कोई स्थायी ढांचा (permanent structure) न बनाए।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका मद्रास रेस क्लब की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम द्वारा दायर की गई थी, जिसमें हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के 22 अक्टूबर 2025 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने पहले के एकल न्यायाधीश द्वारा 4 जुलाई को दिए गए यथास्थिति बनाए रखने (status quo) के आदेश में संशोधन किया था और राज्य को सार्वजनिक हित में रेस क्लब परिसर स्थित चार तालाबों के विकास से संबंधित कार्य करने की अनुमति दी थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह परियोजना जनहित (public interest) में है, क्योंकि इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और जल निकायों के पुनर्जीवन से जुड़ा है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार केवल ईको-पार्क से संबंधित आवश्यक कार्य कर सकती है, और किसी प्रकार का व्यावसायिक या स्थायी निर्माण नहीं होना चाहिए।
इस निर्णय के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बना रहे, जबकि निजी संपत्ति के अधिकारों का भी अतिक्रमण न हो। यह आदेश भविष्य में राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश के रूप में देखा जा रहा है।
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