अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर दबाव बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। सोमवार (24 नवंबर 2025) को अमेरिका Cartel de los Soles को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने की तैयारी में है। हालांकि अमेरिकी सरकार जिस इकाई को आतंकी संगठन बता रही है, वह पारंपरिक अर्थों में कोई संगठित कार्टेल नहीं है।
यह निर्णय अमेरिका की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत ड्रग तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इसे “पश्चिमी गोलार्ध में आतंकवादी हिंसा के लिए जिम्मेदार” बताया।
ट्रंप प्रशासन की सैन्य कार्रवाई की संभावना भी बनी हुई है, हालांकि मादुरो के साथ बातचीत की संभावना को भी पूरी तरह नकारा नहीं गया है। कैरेबियन सागर में महीनों से अमेरिकी सैनिक और जहाज़ सक्रिय हैं और मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल कई नौकाओं को निशाना बनाया गया है।
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‘कार्टेल डे लॉस सोल्स’ की पृष्ठभूमि
1990 के दशक में इस नाम का उपयोग वेनेज़ुएला के उच्च सैन्य अधिकारियों के लिए किया गया, जो कथित तौर पर ड्रग व्यापार से लाभ कमा रहे थे। बाद में भ्रष्टाचार के बढ़ने के साथ यह शब्द पुलिस, सरकारी अधिकारियों और अवैध खनन व ईंधन तस्करी से जुड़े नेटवर्क के लिए भी प्रयोग होने लगा। 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग ने मादुरो और उनके सहयोगियों पर नार्को-टेररिज़्म के आरोप लगाए।
विशेषज्ञों के अनुसार यह कोई औपचारिक समूह नहीं है जिसकी कोई स्पष्ट संरचना हो। इसके बावजूद अमेरिका मानता है कि यह नेटवर्क कोकीन को अमेरिकी शहरों तक पहुंचाने में भूमिका निभाता है।
राजनीतिक प्रभाव
अमेरिकी कदम को वेनेज़ुएला में मादुरो सरकार को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। मादुरो पर मानवाधिकार उल्लंघन, चुनावों में धांधली और कोलंबियाई विद्रोही समूहों के साथ सांठगांठ के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। अमेरिका ने उनके खिलाफ सूचना देने पर इनाम को बढ़ाकर 50 मिलियन डॉलर कर दिया है।
मादुरो इन आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं कि अमेरिका उन्हें सत्ता से हटाने के लिए झूठा ड्रग-तस्करी नैरेटिव बना रहा है।
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