महाराष्ट्र में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। राज्य के गढ़चिरोली जिले में शीर्ष माओवादी नेता भूपति और उनके साथियों सहित कुल 61 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण सुरक्षा एजेंसियों के लिए नक्सली आंदोलन के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, भूपति माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में शामिल था और कई वर्षों से गढ़चिरोली तथा पड़ोसी क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों का संचालन कर रहा था। उसके सिर पर लाखों रुपये का इनाम घोषित था। अधिकारियों ने बताया कि भूपति के आत्मसमर्पण के साथ ही “नक्सल आंदोलन के मूल परिवार का अंत” हो गया है। यह कदम न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे मध्य भारत में नक्सली हिंसा के खात्मे की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति और विकास योजनाओं के परिणामस्वरूप नक्सलियों में मुख्यधारा में लौटने की प्रवृत्ति बढ़ी है। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को पुनर्वास नीति के तहत सहायता प्रदान की जाएगी।
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भूपति ने आत्मसमर्पण के बाद कहा कि उसने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम नक्सल आंदोलन के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत है और आने वाले दिनों में अन्य माओवादी समूहों को भी प्रभावित करेगा।
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