भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) की एक टीम 11 अगस्त को संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति को भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय और पारदर्शी रिश्तों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस बैठक में MEA अधिकारी अमेरिकी सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।
MEA के सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ को ‘गलत समझ’ और ‘खराब अनुमान’ का परिणाम बताया जाएगा, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, भारत इस बात पर कायम है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत और पारस्परिक सम्मान के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान करना चाहता है।
विदेश मंत्रालय का मानना है कि भारत-अमेरिका संबंध आज वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के उच्चतम स्तर पर हैं और दोनों देशों को चाहिए कि वे व्यापार और आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाएं। MEA इस अवसर पर यह भी रेखांकित करेगा कि भारत ने हमेशा ही द्विपक्षीय संवाद को प्राथमिकता दी है और दोनों देशों के बीच भरोसेमंद और स्थिर संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
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MEA के प्रतिनिधि समिति को यह भी बताएंगे कि व्यापारिक विवादों के बावजूद भारत अमेरिका के साथ व्यापक स्तर पर रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग जारी रखना चाहता है।
कुल मिलाकर, यह बैठक भारत की विदेश नीति में अमेरिका के साथ संवाद और सहयोग की भूमिका को मजबूत करने का प्रयास होगी, जिसमें द्विपक्षीय मतभेदों को संवाद के जरिए हल करने पर जोर दिया जाएगा।
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