बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने के कुछ ही घंटों बाद ढाका की अंतरिम सरकार ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि यह “किसी भी तरह से सांप्रदायिक रूप से प्रेरित घटना नहीं” थी। यह घटना बुधवार (24 दिसंबर 2025) को सामने आई, जिसने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
मृतक की पहचान अमृत मंडल के रूप में की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमृत मंडल पर एक आपराधिक गिरोह बनाने और जबरन वसूली समेत कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे। अंतरिम सरकार का कहना है कि भीड़ का गुस्सा कथित आपराधिक और “आतंकी गतिविधियों” से जुड़ा था, न कि उसकी धार्मिक पहचान से।
ढाका स्थित अंतरिम प्रशासन ने इस हत्या की “कड़े शब्दों में निंदा” की, लेकिन यह भी कहा कि समाज का “एक विशेष वर्ग” इस घटना को “सांप्रदायिक हमला” के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, जो तथ्यों से परे है। सरकार के मुताबिक, कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।
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हालांकि, मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों ने इस घटना पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि भीड़ हिंसा की घटनाएं देश में बढ़ रही हैं और अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने सरकार से निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बांग्लादेश में हाल के वर्षों में भीड़ हिंसा और कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नजर रखी जा रही है। इस ताजा मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अपराध और सांप्रदायिक पहचान के बीच की रेखा को लेकर सरकार और समाज किस तरह प्रतिक्रिया देता है।
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