मध्य प्रदेश में खांसी सिरप से हुई मौतों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस गंभीर मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार और संबंधित फार्मा कंपनियों से सहयोग नहीं मिल रहा है।
सीएम ने सवाल उठाया कि तमिलनाडु में फार्मास्युटिकल कंपनियों के लाइसेंसिंग प्रक्रिया में क्या खामियां हैं। उन्होंने मांग की है कि मृत बच्चों के मामलों की जांच सख्त नियामक प्राधिकरण द्वारा की जाए, ताकि दोषियों को उचित दंड दिया जा सके और भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में हुई इस त्रासदी ने दवा उत्पादन और वितरण प्रणाली में गहन सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि तमिलनाडु की कंपनियां और स्थानीय प्रशासन सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे, तो मामले की जांच और पीड़ित परिवारों को न्याय देने की प्रक्रिया और तेज़ हो सकती है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि यह घटना सुरक्षा मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण में कमियों की ओर संकेत करती है। इसके अलावा, इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दवा निर्माण और लाइसेंसिंग पर सख्त निगरानी कितनी जरूरी है।
राज्य सरकार ने मृतक परिवारों के लिए सहायता राशि और कानूनी मदद देने का भी ऐलान किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से भी सहयोग की उम्मीद जताई है ताकि नियामक जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को प्रभावी बनाया जा सके।
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