नागा राजनीतिक मुद्दे पर चल रही वार्ताओं के बीच, NSCN (I-M) के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा ने स्पष्ट किया है कि उनकी संगठन अपनी राजनीतिक मांगों पर कोई समझौता नहीं करेगा। मुइवा ने कहा कि अगर भारत सरकार नागा लोगों की भावनाओं और उनकी पहचान को नहीं समझती, तो बातचीत का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
उन्होंने यह बयान मणिपुर के उखरूल जिले स्थित अपने जन्मस्थान सोमदाल से दिया, जहां से वह अगले 48 घंटों में रवाना होने वाले हैं। मुइवा ने कहा, “अगर आप हमें समझने की कोशिश नहीं करेंगे, तो हमारे आपके पास जाने का कोई मतलब नहीं है।”
NSCN (I-M) ने अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि वे भारत सरकार से केवल उसी समझौते को स्वीकार करेंगे जिसमें नागा राष्ट्रध्वज और संविधान की मान्यता शामिल हो। संगठन का दावा है कि यह दोनों तत्व 2015 में हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का हिस्सा थे, और अब इन्हें नकारा नहीं जा सकता।
और पढ़ें: बिहार चुनाव अभियान में पांच प्रमुख धारणाएं हावी — नीतीश अब भी लोकप्रिय, लेकिन सेहत चिंता का विषय
मुइवा ने कहा कि नागा आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं बल्कि पहचान और अस्तित्व की लड़ाई है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे को केवल सुरक्षा या प्रशासनिक दृष्टिकोण से न देखे, बल्कि नागा जनता की ऐतिहासिक आकांक्षाओं को समझे।
यह बयान ऐसे समय आया है जब नागा शांति वार्ता एक बार फिर धीमी पड़ गई है और कई पक्षों के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं।
और पढ़ें: बिहार चुनाव चरण-1: 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज — एडीआर रिपोर्ट