देश की वित्तीय राजधानी मुंबई इस वर्ष अब तक की सबसे बड़ी साइबर लहर झेल रही है। 2025 की सिर्फ पहली छमाही में ऑनलाइन स्टॉक‑ट्रेडिंग के नाम पर ₹253 करोड़ की रकम लोगों की जेब से निकल चुकी है—शहर में दर्ज कुल साइबर नुकसानों का 50 फीसद यही घोटाला है।
साइबर पुलिस के अनुसार ठग ‘अल्ट्रा‑प्रीमियम रिटर्न’ का झांसा देकर निवेशकों को निशाना बना रहे हैं। वे टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम पर फर्जी वित्तीय सलाहकार बनकर समूह बनाते हैं, जिनमें वैध ब्रोकरेज प्लेटफ़ॉर्म्स की नकल करने वाले नकली ऐप डाउनलोड कराए जाते हैं।
ताज़ा मामला अंधेरी (पश्चिम) के एक परिवहन उद्यमी का है, जो “Fyers Online Trading” नामक व्हाट्सऐप समूह में जोड़ा गया। समूह के तथाकथित विशेषज्ञों ने उसे ऐप का क्लोन डाउनलोड करवाकर 200 % गारंटीड रिटर्न का प्रलोभन दिया। कारोबारी ने क्रमशः कई बड़े ट्रांज़ैक्शन किए; डिजिटल डैशबोर्ड पर मुनाफ़ा तो दिख रहा था, पर निकासी की कोशिश पर कहा गया कि पहले ₹2 करोड़ अतिरिक्त जमा करें। संदेह होने पर उन्होंने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई।
जांच में सामने आया कि गिरोह फिनटेक जार्गन और नकली सेबी रजिस्ट्रेशन दिखाकर भरोसा बनाता है। पैसे विदेशी क्रिप्टो वॉलेट या परत‑दर‑परत अकाउंट्स में भेजे जाते हैं, जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।
मुंबई साइबर पुलिस डीसीपी का कहना है, “हमने 15 से ज़्यादा बैंक खातों व 30 से अधिक यूपीआई आईडी फ्रीज़ कराई हैं। नागरिक सिर्फ़ आधिकारिक ऐप‑स्टोर से प्रमाणित ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करें, अनजान लिंक न खोलें और असंभव रिटर्न वाले प्रस्ताव तुरंत रिपोर्ट करें।”
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि 2026 की पात्रता‑आयु (18 साल) तक डिजिटल निवेशकों की संख्या बढ़ने से ऐसे घोटाले और तेज़ होंगे; निवेशकों को जोखिम पहचानने, दो‑स्तरीय सुरक्षा और नियमित खाते‑जांच को आदत बनाना होगा।