यमन में फांसी की सज़ा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया को एक अस्थायी राहत मिली है, जिसका श्रेय भारत और यमन के प्रमुख धार्मिक नेताओं की सक्रिय भूमिका को जाता है। भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद ने इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेते हुए प्रसिद्ध यमनी धर्मगुरु शेख उमर बिन हाफिज से संपर्क किया। उन्होंने आग्रह किया कि वे निमिषा द्वारा गलती से मारे गए उसके यमनी नियोक्ता तलाल अब्दोल मेहदी के परिवार से बातचीत करें।
शेख उमर ने इस अनुरोध को गंभीरता से लिया और अपने छात्रों को तलाल के परिवार से मिलने भेजा। यह पहल शेख अबूबकर के करीबी और डिप्टी मुफ्ती हुसैन साक़फी ने साझा की। उन्होंने बताया कि बातचीत सकारात्मक रही और कई दौर की गहन बातचीत के बाद पीड़ित के परिवार ने फांसी की सजा को चार घंटे के लिए रोकने पर सहमति जताई।
इस चार घंटे की मोहलत ने निमिषा और उसकी कानूनी टीम को एक नई उम्मीद दी है। माना जा रहा है कि इस दौरान मृतक के परिवार से 'दीया' यानी खूनबही मुआवजा पर बातचीत के प्रयास तेज होंगे, जिससे उसकी जान बचाई जा सके।
यह मामला न केवल कानूनी और कूटनीतिक बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें धार्मिक संवाद और आपसी सहमति की भूमिका को रेखांकित किया गया है।