झारखंड के सांसद निशिकांत दुबे ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद झारखंड के अधिकारियों के खिलाफ अभिभावकाधिकार (ब्रीच ऑफ प्रिविलेज) की शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि वे बाबा बैद्यनाथ धाम के ट्रस्टी हैं और संसद सदस्य के रूप में कानून के अनुसार पुजारी से उच्च पद पर हैं।
निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया कि उनके खिलाफ एफआईआर किस आधार पर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, “मैं बाबा बैद्यनाथ धाम का ट्रस्टी हूं, संसद सदस्य के नाते मैं पुजारी से ऊपर हूं। फिर एफआईआर किस आधार पर दर्ज की गई?” उन्होंने इस कार्रवाई को अनुचित और गलत बताते हुए इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
दुबे ने कहा कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है और उन्होंने विधायिका की गरिमा और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए यह शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा की गई इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सांसद के अधिकारों के खिलाफ बताया।
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यह विवाद तब उभरा जब कुछ स्थानीय अधिकारियों ने निशिकांत दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसका कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस एफआईआर के बाद सांसद ने कड़ा रुख अपनाया और अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, यह मामला झारखंड की राजनीति में नए विवाद को जन्म दे सकता है, जहां सत्ता संघर्ष और प्रशासनिक दबाव के आरोप लगाए जा रहे हैं।
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