विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौते में किसी तीसरे पक्ष का कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत और सैन्य चैनलों के माध्यम से ही हुआ है।
जयशंकर ने सदन में कहा कि भारत की नीति हमेशा से स्पष्ट रही है कि सीमा पार आतंकवाद को किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा पाकिस्तान के साथ शांति और स्थिरता की बात की है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ हमारा रुख बिल्कुल सख्त है। किसी भी समझौते में तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं है।”
हाल के दिनों में कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि संघर्षविराम में किसी विदेशी देश या संगठन की मध्यस्थता रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को मान्यता नहीं देता और यह हमारी विदेश नीति का मूल सिद्धांत है।
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विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि संघर्षविराम का मुख्य उद्देश्य सीमा पर हिंसा को रोकना और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने पाकिस्तान से उम्मीद जताई कि वह अपनी जमीन से आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाए और भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की दिशा में आगे बढ़े।
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