भारत में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में बड़ा परिवर्तन किया जा रहा है। पारंपरिक ढांचे को बदलते हुए इन्हें खेल आधारित शिक्षा (Play-based Learning) के पोषक केंद्रों में परिवर्तित किया जा रहा है, ताकि बच्चे सीखने की प्रक्रिया को अधिक आनंदमय और स्वाभाविक तरीके से अनुभव कर सकें।
खेल आधारित शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ना-लिखना सिखाना नहीं है, बल्कि बच्चों के समग्र विकास — मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक — को बढ़ावा देना है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन के पहले पाँच वर्ष बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और इस दौरान सकारात्मक व आनंदपूर्ण शिक्षा का प्रभाव लंबे समय तक रहता है।
आंगनवाड़ी केंद्रों को रंगीन कक्षाओं, खिलौनों, चित्रों और गतिविधियों से सुसज्जित किया जा रहा है। शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे बच्चों को पढ़ाने के बजाय उनके साथ खेल-खेल में सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकें। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसमें प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ECCE) को विशेष महत्व दिया गया है।
और पढ़ें: देश में हर तीसरा स्कूली छात्र ले रहा है प्राइवेट कोचिंग, शहरी इलाकों में रुझान ज्यादा: केंद्र सर्वे
सरकार का कहना है कि इस पहल से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के बच्चों के बीच सीखने के अवसरों में समानता आएगी। इसके अलावा, यह बच्चों को आगे की स्कूली शिक्षा के लिए बेहतर ढंग से तैयार करेगा और उनकी रचनात्मकता व आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा।
और पढ़ें: परीक्षा तिथि को लेकर कलकत्ता विश्वविद्यालय और पश्चिम बंगाल सरकार आमने-सामने