प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (26 अक्टूबर, 2025) को कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ भारत की जीवंत और भव्य छवि को दर्शाता है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि इस गीत के 150 वर्षों को यादगार बनाने के लिए इसके मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाए।
प्रधानमंत्री ने अपने मासिक ‘मन की बात रेडियो’ संबोधन में बताया कि देशभर में वंदे मातरम से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस गीत को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा और रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में पहली बार गाया था।
मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिकों द्वारा उठाए गए अनोखे प्रयासों का जिक्र किया। इसमें गुजरात में मैंग्रोव पेड़ों का पुनरुद्धार, छत्तीसगढ़ में गार्बेज कैफे की स्थापना और बेंगलुरु में झीलों को पुनर्जीवित करने के प्रयास शामिल हैं।
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प्रधानमंत्री ने अर्धसैनिक बलों — बीएसएफ और सीआरपीएफ — द्वारा भारतीय कुत्तों की नस्लों को अपनी इकाइयों में शामिल करने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि मुधोल हाउंड ने विदेशी नस्लों के कुत्तों को पीछे छोड़ते हुए एक प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता।
उन्होंने ओडिशा के कोरापुट में कॉफी की खेती और महिलाओं के जीवन में इसके सकारात्मक प्रभाव की भी तारीफ की। मोदी ने कहा कि भारतीय कॉफी अब दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है, चाहे वह कर्नाटक, तमिलनाडु या केरल के क्षेत्र हों।
प्रधानमंत्री ने संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं के उत्साह और सोशल मीडिया में इसके उपयोग की भी सराहना की। उन्होंने युवा कंटेंट क्रिएटर और क्रिकेटर यश सलुंके का उदाहरण दिया, जिन्होंने संस्कृत में क्रिकेट खेलते हुए लोकप्रिय रील बनाई।
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