राज्यसभा ने मणिपुर का बजट और वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित विधेयक वापस भेज दिया है। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने बिल पर हो रही प्रक्रिया का जोरदार विरोध किया। कई सांसद सदन के वेल (Well) में खड़े होकर “ना” के नारे लगा रहे थे, जबकि बिल पर मतदान की प्रक्रिया जारी थी।
सत्र के दौरान अध्यक्ष ने बिल पर चर्चा और मतदान की प्रक्रिया पूरी कराने का प्रयास किया, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने शोरगुल और नारेबाजी जारी रखी। इन सांसदों का आरोप था कि बिल पर उचित चर्चा का अवसर नहीं दिया गया और मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर सरकार गंभीरता से जवाब नहीं दे रही है।
बजट और GST विधेयक मणिपुर के आर्थिक प्रबंधन और विकास योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें विभिन्न क्षेत्रों में खर्च और कर संग्रह से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि राज्य की संवेदनशील परिस्थितियों को देखते हुए इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए थी, ताकि जनता की समस्याओं और प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से शामिल किया जा सके।
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राज्यसभा में हुई इस घटना ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। विपक्षी दल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी कर रही है।
उधर, सरकार का कहना है कि विधेयकों को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही पारित किया जा रहा है और जनता के हित में समयबद्ध तरीके से फैसले लेने जरूरी हैं। इस टकराव ने संसद के भीतर राजनीतिक ध्रुवीकरण को और स्पष्ट कर दिया है।
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