केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रविवार (28 दिसंबर, 2025) को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह किया कि वे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पत्राचार और दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटाएं। उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं, बल्कि देश की धरोहर है।
शेखावत ने बताया कि प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल), जिसे पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) कहा जाता था, की स्थापना पंडित नेहरू के निधन के बाद की गई थी। 1970 से 1990 के बीच नेहरू से जुड़े गैर-सरकारी दस्तावेज, जिनमें उनके लिखे पत्र, प्राप्त उत्तर, निजी टिप्पणियां और नोट्स शामिल थे, संग्रहालय में सुरक्षित रखे गए।
उन्होंने कहा कि संग्रहालय में देश के सभी प्रधानमंत्रियों से जुड़े दस्तावेज संरक्षित हैं और कुल लगभग 2.5 करोड़ दस्तावेजों में से करीब चार लाख केवल पंडित नेहरू से संबंधित हैं। हालांकि, अन्य प्रधानमंत्रियों के दस्तावेज स्थायी रूप से संग्रहालय की संपत्ति है, जबकि नेहरू के दस्तावेज “सुरक्षित अभिरक्षा” के लिए रखे गए थे।
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मंत्री ने बताया कि 29 अप्रैल 2008 को सोनिया गांधी के निर्देश पर एम.वी. राजन ने पत्र लिखकर नेहरू के पारिवारिक और निजी पत्र वापस लेने की मांग की थी। इसके बाद करीब 57 कार्टन में रखे लगभग 26,000 दस्तावेज संग्रहालय से ले जाए गए। शेखावत ने कहा कि सरकार ने इन दस्तावेजों को वापस करने का अनुरोध किया है और दो बार पत्र भेजे गए हैं।
डिजिटाइजेशन पर बोलते हुए शेखावत ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय अभिलेखागार में बड़े पैमाने पर डिजिटल मिशन शुरू किया है, जिसके तहत लाखों फाइलें सुरक्षित की गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘ज्ञान भारतम मिशन’ का उद्देश्य देश की अमूल्य पांडुलिपियों और ऐतिहासिक दस्तावेजों का संरक्षण और डिजिटल उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
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