सूचना का अधिकार (RTI) आयोग में वर्तमान में 18,000 से अधिक मामले लंबित हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़े आवेदनों के निपटारे में देरी हो रही है। इसी संदर्भ में प्रजावाणी हॉल में एक आरटीआई जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य जन सूचना अधिकारियों (PIOs) को आरटीआई कानून की कानूनी प्रावधानों और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में प्रशिक्षित करना था।
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि आरटीआई का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। लेकिन बड़ी संख्या में लंबित मामलों के कारण सूचना समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इससे नागरिकों का भरोसा प्रभावित हो रहा है।
जन सूचना अधिकारियों को बताया गया कि उन्हें आरटीआई आवेदन का समय पर जवाब देने और सूचना उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है। आयोग ने यह भी जोर दिया कि सही प्रशिक्षण और कानूनी समझ के साथ ही लंबित मामलों की संख्या को कम किया जा सकता है।
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सम्मेलन में यह भी चर्चा हुई कि डिजिटलाइजेशन और तकनीकी साधनों का उपयोग बढ़ाकर आरटीआई प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाया जा सकता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि विभागों में सूचनाओं का डिजिटली रिकॉर्ड रखा जाए, ताकि आवेदनों का शीघ्र निपटारा किया जा सके।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आयोग से अपील की कि लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
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