अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे गिरकर 86.36 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने बताया कि बाजार की निगाहें अब 1 अगस्त की समयसीमा के करीब आ रहे भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के परिणामों पर टिकी हुई हैं, जहां भारतीय निर्यातों पर संभावित टैरिफ लगाए जाने की चर्चा है।
शुरुआती कारोबार में रुपया मामूली मजबूती के साथ खुला था, लेकिन बाद में अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ने और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते यह कमजोर हुआ। विश्लेषकों का मानना है कि व्यापार वार्ता का सकारात्मक परिणाम रुपया को सहारा दे सकता है, लेकिन यदि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए गए, तो इसका विपरीत असर दिख सकता है।
इस बीच, अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, थोड़ा मजबूत हुआ है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक बाजारों की अस्थिरता ने भी भारतीय मुद्रा पर असर डाला।
व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की निकासी और ब्याज दरों को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अगली रणनीति भी रुपये की चाल में अहम भूमिका निभाएगी।
वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बनी रह सकती है, जब तक कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता से स्पष्ट दिशा न मिले।