भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार (18 दिसंबर 2025) को पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों को विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्त करने की सिफारिश की है। यह निर्णय न्यायपालिका में नेतृत्व की निरंतरता बनाए रखने और लंबित पदों को समय पर भरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
कॉलेजियम की सिफारिशों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह नियुक्ति वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के 9 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होने के बाद प्रभावी होगी।
कॉलेजियम ने कहा कि इन न्यायाधीशों की वरिष्ठता, न्यायिक अनुभव, प्रशासनिक क्षमता और कार्य निष्पादन को ध्यान में रखते हुए यह सिफारिश की गई है। न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता सहित अन्य नामों पर विचार करते समय उनके पिछले फैसलों, न्यायिक समझ और संस्थागत योगदान का आकलन किया गया।
और पढ़ें: कर्नाटक हाईकोर्ट ने जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में खगोल भौतिकी संस्थान के पूर्व कर्मचारी को 4 महीने की सजा सुनाई
सूत्रों के अनुसार, कॉलेजियम की इन सिफारिशों को अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र सरकार की स्वीकृति और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद संबंधित नियुक्तियों की औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में कई उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों के पद रिक्त रहे हैं या कार्यवाहक व्यवस्थाओं के तहत काम चल रहा है। ऐसे में कॉलेजियम की यह पहल न्यायिक प्रशासन को मजबूत करने और मामलों के शीघ्र निपटारे में सहायक साबित हो सकती है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति से उच्च न्यायालयों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और न्याय वितरण प्रणाली में पारदर्शिता व विश्वास को और मजबूती मिलेगी।
और पढ़ें: न्यायिक पक्षपात से अनुशासनहीनता तक: विपक्षी सांसदों ने जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के महाभियोग की मांग क्यों उठाई