शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के इस वर्ष के शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए 'एससीओ विकास बैंक' स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। उनका कहना है कि इस बैंक के माध्यम से सदस्य देशों के बीच निवेश, व्यापार और आर्थिक परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
इस साल का एससीओ शिखर सम्मेलन संगठन के इतिहास में सबसे बड़ा माना जा रहा है। चीन, जो इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है, ने 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है। यह दर्शाता है कि एससीओ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच बनता जा रहा है।
शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा कि एससीओ के सदस्य देशों को न केवल सुरक्षा और राजनीतिक सहयोग बढ़ाना चाहिए, बल्कि आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोर दिया कि एससीओ विकास बैंक सदस्य देशों के बीच वित्तीय संसाधनों के साझा उपयोग और निवेश के अवसरों को बढ़ावा देगा।
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विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से एससीओ की आर्थिक ताकत में वृद्धि होगी और यह संगठन वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। चीन का उद्देश्य इस पहल के माध्यम से सदस्य देशों के बीच व्यापारिक और निवेश संबंधों को मजबूत करना है।
सम्मेलन में व्यापार, ऊर्जा, पर्यावरण और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा हुई। यह शिखर सम्मेलन इस बात का संकेत देता है कि एससीओ अब सुरक्षा और राजनीतिक सहयोग के साथ-साथ आर्थिक सहयोग के लिए भी एक निर्णायक मंच बन रहा है।
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