शरजील इमाम, जो तिहाड़ जेल में पिछले पांच साल से बंद हैं और उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों 2020 से जुड़े बड़े साजिश मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं, ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए दो सप्ताह की अस्थायी जमानत की मांग की है।
इमाम का लक्ष्य अपने गृह राज्य बिहार के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना है। उनका कहना है कि उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार संवैधानिक रूप से प्राप्त है और इस अवसर से वह अपने मतदाताओं के सामने अपनी राय और योजना प्रस्तुत करना चाहते हैं।
जेल अधिकारियों और कोर्ट में दाखिल किए गए आवेदन में इमाम ने कहा है कि चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उन्हें अल्पकालिक जमानत दी जानी चाहिए, ताकि वह अपनी मतदाता और निर्वाचन कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
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विशेषज्ञों का कहना है कि शरजील इमाम का मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से संवेदनशील है। उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं, कोर्ट की सहमति पर निर्भर है, और इससे बिहार की राजनीतिक हलचल पर भी असर पड़ सकता है।
उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़े इस मामले में इमाम पर गंभीर आरोप है, लेकिन वह जेल में रहते हुए भी अपने राजनीतिक अधिकारों और चुनावी हक की पैरवी कर रहे हैं। अदालत की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाती है या नहीं।
यह मामला बिहार चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवारों की भागीदारी और राजनीतिक नाटकीयता को और बढ़ा सकता है।
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