सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (3 नवंबर 2025) को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी, जिसमें वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई है। यह पंजीकरण ‘यूएमईईडी’ (UMEED) पोर्टल के तहत किया जा रहा है।
ओवैसी की याचिका पर पहले 28 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन मामला सूचीबद्ध होने के बावजूद नहीं सुना जा सका। इस पर अधिवक्ता निज़ाम पशा, जो ओवैसी की ओर से पेश हुए, ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (CJI) और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ से त्वरित सुनवाई की मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम जल्द तारीख देंगे।”
पेशा ने बताया कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए निर्धारित छह महीने की अवधि लगभग समाप्त होने वाली है।
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सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 15 सितंबर को अपने एक अंतरिम आदेश में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ प्रमुख धाराओं पर रोक लगाई थी, जिनमें यह प्रावधान भी शामिल था कि केवल वे लोग जो पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं, वक्फ बना सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार किया था।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्र द्वारा ‘वक्फ बाय यूज़र (Waqf by User)’ प्रावधान को हटाने का फैसला prima facie मनमाना नहीं है। यह प्रावधान उन संपत्तियों से संबंधित था, जो लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग में थीं, भले ही उनके मालिक ने औपचारिक रूप से वक्फ की घोषणा न की हो।
केंद्र सरकार ने 6 जून को यूएमईईडी (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development) पोर्टल शुरू किया था, जिसके तहत देशभर की सभी वक्फ संपत्तियों का जियो-टैगिंग और डिजिटल पंजीकरण छह महीने के भीतर अनिवार्य है।
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