सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर 2025) को इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ानों की रद्दीकरण पर तत्काल सुनवाई देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस स्थिति से अवगत है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, इसलिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि वे इस गंभीर स्थिति से भली-भांति अवगत हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यह अत्यंत गंभीर मामला है। देशभर के हवाईअड्डों पर लाखों लोग फंसे हुए हैं। हमें पता है कि भारत सरकार ने समय पर कार्रवाई की है और स्थिति को संभालने के प्रयास हो रहे हैं। हमें यह भी पता है कि कई लोग स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण कारणों से परेशान हैं।”
एक वकील ने कोर्ट के समक्ष मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले कई दिनों से इंडिगो द्वारा बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द की जा रही हैं और यात्रियों को बिना पूर्व सूचना के परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि लगभग 2,500 उड़ानें देरी से चल रही हैं और देश के 95 हवाईअड्डों पर यात्री कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
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सोमवार (8 दिसंबर 2025) को दिल्ली और बेंगलुरु हवाईअड्डों से ही 250 से अधिक इंडिगो उड़ानें रद्द हुईं। दिल्ली में 134 उड़ानें रद्द की गईं — 75 प्रस्थान और 59 आगमन — जबकि बेंगलुरु में 117 उड़ानें रद्द हुईं — 65 आगमन और 62 प्रस्थान।
इंडिगो पर सरकार और यात्रियों दोनों द्वारा कड़ा दबाव है। एयरलाइन ने 2 दिसंबर से उड़ानों में बड़े पैमाने पर रद्दीकरण की शुरुआत की थी, यह कहते हुए कि पायलटों की ड्यूटी नियमों में नियामकीय बदलाव इसका कारण हैं।
इन लगातार रद्दियों के चलते देशभर में लाखों यात्री हवाईअड्डों पर फंसे हुए हैं।
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